तरावीह की नमाज कैसे पढे How to read Taraweeh prayers
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प्रिय पाठक हमने आपको पहले ब्लॉग पोस्ट में बताया था, के मुस्लीम समुदाय रमजान महीने में रोजा क्युं और कैसे रखते है| और हमने आपसे रमजान महीने में होने वाली अनेक गतीविधियो के बारे में बारिक से बारिक जानकारी दी थी| आप पाठको को मेरा वह ब्लॉग पोस्ट बहोत पसंद आया, यह आपने हमे ई-मेल भेज कर बताया और हमारी दिल कि गहराई से सराहना कि| हम भी आपके सराहने के लिये दिल कि गेहराई से शुक्रिया अदा करते है और धन्यवाद देते है| आपका हमारे ब्लॉग पोस्ट को पढना और हमे सराहना हि हमारे हौसले और उत्साह को और अधिक बढाता है| आपके सराहने से हमे नये-नये पोस्ट लिखने कि स्पुर्थी और उर्जा मिलती है|
तो हम आप सभी पाठकों को रमजान महीने में
मुस्लीम समाज कि विशेष प्रार्थना याने नमाज-ए-तरावीह याने तरावीह कि नमाज क्या
होती है? तरावीह कि नमाज कैसे अदा करते है| उसके बारे में सिधे और सरल भाषा में
बताने का प्रयास करेगे| उम्मीद है, के आपको मेरा यह प्रयास बहोत पसंद आयेगा| सो
गाईस चलते है, हम अपने मुख्य विषय कि ओर|
तरावीह कि नमाज कैसी होती है ?
तरावीह कि नमाज पढना हर बालिग मुसलमान मर्द
और औरत पर जरुरी है| वैसे तो रमजान का महिना हि ईबादतो और तिलावतो के लिये होता
है| अल्लाह से अपनी मुरादे मांगने का होता है| दुआये मांगने का होता है| लेकीन
रमजान महीने में विशेष रूप से नमाज पठन कि जाती है| उसका नाम नमाज-ए-तरावीह है| तरावीह
कि नमाज दिन कि आखिरी नमाज के बाद याने ईशा कि फर्ज नमाज सामुहिक तौर से अदा करने
के बाद, दो रकाअत सुन्न्ते मौकिदा और दो रकाअत नफील नमाज अदा करने के बाद अदा कि
जाती है|
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तरावीह कि नमाज में मुख्य रूप से कुरआन-ए-पाक
पठन किया जाता है| तरावीह कि नमाज पढाने वाले ईमाम नमाज में कुरआन-ए-पाक सुनाते है|
ईमाम सहाब उन्हे कहते है, जो नमाज पढाते है, उन्हे ईमाम कहते है| वह मुख्य पठन
किया हुवा कुरआन-ए-पाक तरावीह कि नमाज में सुनाते है| तरावीह कि नमाज में वही ईमाम
मुख्य पठन करके कुरआन-ए-पाक सुनाते है, जो हाफिज-ए-कुरआन होते है| हाफिज-ए-कुरआन
उस व्यक्ती को कहते है| जिस व्यक्ती को पुरी कुरआन-ए-पाक मुख्य पाठ हो|
वह ईमाम नमाज में कुरआन शरीफ साफ-साफ अल्फाज याने शब्दो में सुनाते है| और पीछे खडे हुवे मुकतदि याने लोग नमाज कि हालत में ईमाम के पीछे खडे हो कर बडे शांती और श्रद्धा से कुरआन पठन सुनते है| नमाज में कुरआन पठन सुनाने का जितना महत्व है याने सवाब है| ठिक उसी तरह तरावीह कि नमाज में कुरआन सुनने का भी उतना हि सवाब याने पुण्य है, या फ़िर उससे ज्यादा भी है|
नमाज पढाने वाले ईमाम तरावीह कि नमाज में
रोज थोडा-थोडा करके एक महीने तक कुरआन-ए-पाक सुनाते है| रमजान का महिना कभी 29 दिन
का और कभी 30 दिन का होता है| आम तौर पर कुरआन शरीफ रमजान के 26 तारीख को याने 26
वे रोजे को समाप्त करने का रिवाज है| याने शब-ए-कद्र कि रात में कुरआन पठन कि
समाप्ती होती है|
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तरावीह कि नमाज में कुरआन पठन कि समाप्ती पर
खतम-ए-कुरआन कि दुआ याने प्रार्थना कि जाती है| 26 तारिक को कुरआन पठन कि समाप्ती
पर ईमाम सहाब दुआये मांगते है| इस दुआ में छोटे बच्चे, नौजवान और बडे बुजुर्ग सभी
लोग शामिल होते है| दुआ में अल्लाह पाक से माफी मांगी जाती है, के हमने जिस तरह
कुरआन शरीफ का हक अदा करना था वैसा नही किया| जिस तरह से कुरआन सुन्ना चाहिए था,
लेकीन नही सुने इसका खेद जताते हुवे अल्लाह पाक से माफी मांगी जाती है| इस दुआ में
अपने तमाम मरहुम-मरहुमीन के लिये मगफिरत कि दुआ मांगी जाती है| अपने जीवन के
भविष्य के लिये दुआ मांगी जाती है| विशेष रूप से विश्वशांती के लिये रो-रो कर दुआ
मांगी जाती है|
तरावीह कि नमाज कैसे अदा
करते है|
प्रिय पाठक हमने उपर के हिस्से में आपसे
रमजान में तरावीह कि नमाज कैसी होती है| नमाज-ए-तरावीह किसे कहते है| आपको बारिकी
से बताने का हमने प्रयास किया है| आप सभी पाठकों कि जीज्ञासा को देखते हुवे मैने
यह प्रयास किया है|
अब हम पढेंगे कि तरावीह कि नमाज कैसे पढते
है| याने तरावीह कि नमाज कैसे अदा करते है|
रमजान में विशेष रुप से अदा किये जाने वाली
प्रार्थना याने तरावीह कि नमाज होती है| तरावीह कि नमाज में 20 रकाअते होती है|
तरावीह
कि नमाज दिन के आखिरी नमाज याने ईशा कि नमाज के बाद तरावीह कि नमाज अदा कि जाती
है| मुख्यतः ईशा कि चार रकाअत सुन्नते मौक्कीदा चार रकाअत फर्ज नमाज, दो रकाअत
सुन्नते मौक्कीदा और दो रकाअत नफील नमाज के बाद तरावीह कि नमाज पढी जाती है| यह 20
रकाअत नमाज सुन्नते मौक्कीदा होती है| जो हजरत पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही व
सल्लम ने अदा कि है उसे सुन्नते मौक्कीदा कहते है|
तरावीह कि नमाज इस तरह पढी जाती है, के 20
रकाअत तरावीह कि नमाज दो-दो रकाअत से अदा किये जाती है| हर रकाअत में कुरआन पठन करने
से पहले सुरह फातिहा कि तिलावत किये जाती है| और ईसके बाद कुरआन शरीफ कि तिलावत कि
जाती है| याने ईमाम सहाब कुरआन पढते है|
हर चार रकाअत नमाज के बाद ब्रेक लिया जाता
है| याने हर चार रकाअत के बाद ईमाम सहाब थोडी देर बैठ जाते है| उनके साथ-साथ पीछे
नमाज पढने वाले सभी नमाजी भी बैठ जाते है| इस दर्मियान कुछ दुआ पढी जाती है| इस
तरह दो दो रकाअत करके 20 रकाअत तरावीह कि नमाज अदा किये जाती है|
20 रकाअते तरावीह होने के बाद ईमाम सहाब तीन
रकाअत वित्र कि नमाज पढाते है| और उनके पीछे खडे सभी नमाजी यह नमाज पढते है| आपको
बता दे, के वित्र कि नमाज सामुहिक तौर पर सिर्फ रमजान महीने में हि अदा कि जाती
है| और गैर रमजान में वित्र कि नमाज सभी लोग अलाहिदा-अलाहिदा अदा करते है|
रमजान महीने में जमात से नमाज पढना याने सामुहिक
रीतीसे नमाज अदा करना, सामुहिक तौर पर कुरआन सुन्ना, सामुहिक तौर से रोजा इफ्तारी
करना और सामुहिक रीतीसे तरावीह कि नमाज अदा करना ऐसी खास विशेश्ताएं होती है| जिस
वजह से रमजान महीने का मंजर अपने आप में
कुछ और दिखाई देता है|
रमजान में रोजा रखना, कुरआन कि तिलावत करना, जिक्र-अशकार
करना याने अल्लाह पाक कि बढाई करना और खास दुआओं का एह्तेमाम याने पाबंदी तो
मुस्लीम समुदाय करता है| लेकीन रमजान में चलने वाली गतीविधियो को जानने कि
जीज्ञासा और उत्सुकता सभी समाज के पाठकों कि होती है|
जीज्ञासू और उत्सुक पाठकों कि पढने और ज्यादा
से ज्यादा जानकारी हासील करने कि भूक कभी कम नही होती| ऐसे हि जीज्ञासु और काबील
पाठकों को अधिक से अधिक जानकारी देने का प्रयास मैने इस ब्लॉग के माध्यम से किया
है| ब्लॉग पोस्ट पढने वाले सभी पाठक यह हर तरह कि जानकारी हासील करने कि बडी जीज्ञासा
रखते है| उन्हे लगता है, के हमें समाज और संसार कि छोटी से छोटी जानकारी घर बैठे
होनी चाहिए |
उन सभी प्रिय और जीज्ञासू पाठकों कि भुक
बुझाने का छोटा सा प्रयास मैने इस ब्लॉग पोस्ट के
माध्यम से किया है| उम्मीद करता हुं, के आप
सभी पाठकों को मेरा यह ब्लॉग पोस्ट बहोत पसंद
आया होगा|
लेखक/संपादक : जर्नलिस्ट मुजीब जमीनदार
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