कुरान पढ़ने वाला कभी मायूस नहीं होता :- ख़ारी ईनायतुल्लाह साहब अख़रवी
Writing Editing and Posted By: Journalist Mujib Jamindar
(समाचार मीडिया ब्यूरो) कुराने पाक एक इंकलाबी किताब है। इसलिए कुरान की तिलावत किया करो यानी कुरान पढ़ा करो। क्योंकि कुरान पढ़ने वाला कभी मायूस नहीं होता। ऐसा गुजरात से आए हुए भरूच के ख़ारी ईनायतुल्लाह साहब अख़रवी ने अपने बयान में कहा। वह महाराष्ट्र की जालना जिले के आष्टी शहर में ईद मिलादुन्नबी के मौके पर एक जलसे में बोल रहे थे।
कुराने पाक एक इंकलाबी किताब है। इसलिए कुरान की तिलावत किया करो यानी कुरान पढ़ा करो। क्योंकि कुरान पढ़ने वाला कभी मायूस नहीं होता। ऐसा गुजरात से आए हुए भरूच के ख़ारी ईनायतुल्लाह साहब अख़रवी ने अपने बयान में कहा। वह महाराष्ट्र की जालना जिले के आष्टी शहर में ईद मिलादुन्नबी के मौके पर एक जलसे में बोल रहे थे।
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जलसे की सदारत मुफ़्ती अब्दुल रज़्ज़ाक़ साहब ने की। इस समय जलसा में जालना परभणी और बीड़ जिले के ग्रामीण इलाकों से आए हुए लोगों समेत आष्टी शहर के लोग भारी संख्या में मौजूद थे।
कुरान शरीफ और उसके पढ़ने वालों की कदर करें: ख़ारी ईनायतुल्लाह साहब अख़रवी
जलसे में आगे बोलते हुए ख़ारी इनायतुल्लाह साहब ने कहा कि कुरान पाक की तिलावत किया करो और उसके पढ़ने वालों की कदर करें। कुरान को समझ कर और यकीन के साथ पढ़ा करें। कुरान की हर आयात में कामयाबी और शि़फा है। कुरान अपने-अपने घरों में पढ़ने का माहौल बनाएं और अपने मासूम बच्चों को भी कुरान मजीद पढ़ने की हिदायत देते रहे। अपने बच्चों को पूरे यकीन के साथ कुरान पढ़ाया और सिखाया करो कि कुरान पढ़ने वाला कभी मायूस और नाकाम नहीं होता।
ज़िक्र की महफ़िल
ख़ारी ईनायतुल्लाह औसाहब के बयान के बाद जलसे में मौजूद सभी ने हज़रत के साथ कलमें शहादत का जि़क्र एक और और एक ताल में किया। इस वक्त जलसे में मौजूद मासूम बच्चे नौजवान और बुजु़र्गोंने अल्लाह का जिक्र किया।
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भारत में अमन, शांति और भाईचारे के लिए दुआ
जि़क्र की मजलिस के बाद एक सामूहिक दुआ अदा की गई। सामूहिक दुआ के दौरान अल्लाह ताला से रोते हुए ख़ैर वह आफि़यत की बारिश यानी बरसात के लिए रो-रो कर दुआ मांगी गई।
अल्लाह से मांगते हुए दुआ में भारत देश के अमन, शांति और हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भाईचारा के लिए प्रार्थना मांगी गई।
औरतों में बयान
आष्टी शहर के दो अलग-अलग हिस्सों में ख़ारी ईनायतुल्लाह उल्ला साहब अख़रवी इनका औरतों के लिए ख़ास बयान रखा गया था। औरतों की जलसे में सैकड़ों की तेदाद में याने भारी संख्या में मस्तूरात यानी औरतें जमा हुई जिन्होंने ख़ारी ईनायतुल्लाह साहब से अल्लाह और उसके रसूल की बात सुनी।
ख़ारी ईनायतुल्लाह साहब के आष्टी शहर में पधारने पर पूरे शहर और इलाकें में एक ईद जैसा और धार्मिक माहौल बन गया था।
ईद ए मिलाद यानी सीरत उन नबी के इस जलसे प्रोग्राम को कामयाब बनाने में आष्टी शहर के सभी लोगों ने खूब मेहनत और ताउन किया।
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