आजादी के अमृत महोत्सव पर गौरव गाथा Aazadi Ke Amrit Mahotsav Par Gaurav Gaatha

 

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लेखक/कवि एवं संपादक:- मुजीब हुसैन ज़मीनदार

     सबसे पहले मैं हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी और सभी भारत वासियों को आज़ादी के अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर कोटि कोटि शुभकामनाएं देता हूं।

 हमारे प्रधानमंत्री जी ने भारत के 75 वी वर्ष गाठ  को " आज़ादी का अमृत महोत्सव" मनाने की घोषणा कि। और इस शुभ अवसर पर अलग अलग तरीके से समुच्चय देश में एक विश्वास का, प्यार का वातावरण बनाने का प्रयास किया। आज़ादी का अमृत महोत्सव हम सबने मिलकर बड़े धूमधाम से मनाया। मानों देश में ईद, दिवाली, नाताल और सभी त्यौहार एक साथ मिलकर मनाएं जा रहे हैं। 

   भारत देश का हर जाति और धर्म के लोग चाहे बड़े हो बच्चे सभी ने हाथों में हाथ डाल कर, हाथ में तिरंगा लेकर मचलता और उत्साहित दिखाई दिया। कोई हाथ में तिरंगा झंडा लेकर तो कोई अपने साईकिल पर तिरंगा झंडा लेकर जोश से लबरेज दिखाई दिया। हर एक के मोटर साइकिल पर और मोटर गाड़ी पर तिरंगा झंडा लहराता हुआ उत्साह से ओतप्रोत दिखाई दिया। लगभग यह मंज़र  हमारे भारत देश के विभिन्न हिस्सों में दिखाई दिया। 

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     मुझे बचपन का वह मंजर याद आया, जब हमारे स्कूल में दिवाली कि मिठाईयां बांटी जाती थी। रमजान ईद के मौके पर शिरखुरमा बांटा जाता था। और इतना ही नहीं बल्की लगभग सभी त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाये जाते। हां, हम सब छोटे छोटे बच्चों को सिर्फ खुशीयां दिखाई देती।

    मुझे अच्छा सा याद है, कि जब दिवाली के पवन अवसर पर मेरे बचपन के दोस्त व्यंकटेश, बलिराम और भी दोस्तो के घर में जब दिवाली मनाई जाती, तो साथ में मुझे भी दिवाली कि मिठाईयां और नाश्ता बड़े प्यार से मिलता। और हां, रमजान ईद के खुशी के मौके पर हमारे घर में मेरे साथ मेरी मां व्यंकटेश को भी बड़े ही प्यार से शिरखुरमा देती। 

   सच में बताऊं तो पता ही नहीं चलता कि किस कि दिवाली है और किसकी ईद। बस... उत्साह के साथ उत्सव मनाये जाते थे। और सब खुशियां सब के लिए होती। 

   छुट्टियां भी जो मिलती। दिवाली कि छुट्टियां तो मानों हमारे मिलने जुलने के लिए ही होती। हम दिवाली कि छुट्टियों में छुट्टियां मनाने मेरे मामा के गांव यानी ननीयाल में जाने के लिए दिवाली का बड़े बेसब्री से इंतजार कर रहे होते। 

     आज़ादी का जश्न हर साल 15 अगस्त को बड़े धूमधाम से मनाया जाता और इसी तरह गणतंत्र दिवस समारोह भी।  स्कूल से पुरे गांव में पैदल सुबह सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती। प्रभात फेरी पुरे गांव के गली, मुहल्ले से निकल कर फिर वापस स्कूल पहुंचति। और स्कूल में बैंड बाजे की धुन में ज़ोर और शोर से राष्ट्र गान होता। 

    राष्ट्र गान के बाद हम सब छोटे बच्चों को गांव के ग्रामपंचायत कि ओर से संतरा और मोसंबी के स्वाद वाली गोलियां और बिस्कुट बांटी जाती। और हां, आज भी मुझे अच्छी तरह याद है कि, गोलियां और बिस्कुट गांव के बड़े ज़मीनदार गुलाम अहेमद ग़ुलाम मोहियोददी्न, ज़मीनदार गुलाम मुर्तजा गुलाम मोहियोददी्न,  और पाटिल साहब कि ओर से बांटी जाती।

     याने कुल मिलाकर उत्साह का वातावरण होता था। 

     यह उत्सव और महोत्सव मुझे इस लिए भी याद आया कि आज हमारे समुच्चय भारत देश में आज़ादी का अमृत महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। 

     बस, भारत में रहने वाले मेरे सभी भारतीय भाई बहनों से,

   मै अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से यह छोटा सा नम्र निवेदन करता हुं| जरूर पढ़िएगा।


                       कविता


मेरे भारत देश को भारत देश हि रहने दो।

दिलों में तिरंगे का  प्यार ऐसे ही ज़िंदा रहने दो। 


गंगा जमुना कि यह प्यारी तहज़ीब ऐसे ही जिंदा रहने दो।

नफ़रत कि आग आगे अब न बढ़ने पाएं।

और ना अब बटवारा होने दो|


मेरे भारत देश को भारत देश हि रहने दो। 


देश और देश वासियों का प्यार दिलों में ऐसे ही जिंदा रहने दो।


मेरे भारत देश को भारत देश हि रहने दो। 


मेरे भारत देश को भारत देश हि रहने दो।


जय हिन्द 


 लेखक/कवि एवं संपादक:मुजीब हुसैन ज़मीनदार

 

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