कोरोना संकट में कोरोना योद्धाओं का कैसा रहा योगदान? How was the contribution of corona warriors in the corona crisis?
प्रतीकात्मक चित्र |
प्रिय पाठकों आप सभी लोग जानते है, के
दिसंबर 2019 में भारत में दबे पाव आये कोरोना वायरस ने कितना आतंक फैलाया था और
अभी भी कोरोना विशानु का आतंक फैला हुवा है| कोरोना वायरस कि चपेट में आने से
विश्व भर के करोडों वक्ती संक्रमित हुवे, तो लाखो लोगों ने अपनी जान गवाई| विश्व
और भारत में सभी कोरोना वायरस के आतंक कि चर्चा और दहशत हर दिल पर अपना कब्जा
बनाये बैठी है|
कोरोना वायरस के बढते आतंक को देखते हुवे
विश्व स्वास्थ संघटन याने W-H-O ने कोरोना वायरस से होने वाली बिमारी याने कोविड-19 को
वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है|
कोरोना वायरस कि चपेट में आने से लाखों
लोगों कि जान तो चली गयी लेकीन साथ बहोत दर्द भरी दास्तान भी लिख दि|
कोरोना वायरस कि चपेट में आने से सिर्फ
हमारा भारत हि नही बल्की पुरा विश्व प्रभावित हुवा| करोडों लोग दुखी और आहत हुवे| हमारे
व्यापार उद्योग और रोजगार को भी बहुत क्षति पहोंची है| क्योंकी कोरोना वायरस कि
धार को कम करने के लिये सरकार को मजबुरन लॉकडाऊन लगाना पढा, जिसके कारण बाजार बंद
रहे और लाखों लोगों को रोजगार से हात धोना पढा| कारखाने बंद रहे, रोजगार देने वाले
और लाखों लोगों के घरों के चुल्हे जीन के माध्यम से जलते थे| वह अब बेरोजगारो कि
कतार में लग गये और इन्हे बहुत आर्थिक नुकसान सहेना पढा| यह तो बात रही बेरोजगार
और आर्थिक नुकसान कि|
इन सब से अधिक और कभी ना भरने वाला नुकसान,
तो हमारे अनेक लोगों कि अनमोल जान जाने से हुवा| जब विश्व और हमारे भारत में
कोरोना का आतंक चाल रहा था, तो देश कि आम जनता अपने ही घरों में कैद रही लेकीन सुरक्षित
और जीवित रही| क्योंकी बहार कोरोना का आतंक चल रहा था| और कोरोना संक्रमण के खतरे
को रोकने के लिये सरकार द्वारा कडक लॉकडाऊन लगाया गया था| चारों ओर सन्नाटा रहा,
मौते होने के कारण घर, मोह्ल्ले और शहरो में मातम कि लहर फैल गयी थी| हर शक्स
अपने-अपने परीजनो कि जान बचाने कि फ़ीक्र में लगा था, के कहीं कोरोना वायरस हमे और
हमारे परीजनो को हमसे हमेशा के लिये कहीं दुर ना ले जाये| हर तरफ ऐसी हि चिंता और
डर-खौफ का माहोल बना था|
ऐसे में सरकार, समाजसेवी संस्थाए, समाजसेवक,
सरकारी कर्मचारी अधिकारी| खास तौर पर इमानदार डॉक्टर्स, नर्सेस, पैरामेडीकल स्टाफ
अपने काम को फ़र्ज समझकर अंजाम देते रहे| और तो और कठोरता के लिये जाने-जाने वाले
पोलीस महेकमा भी अपने सुरक्षित घरों से निकल कर लोगों कि सुरक्षा के लिये अपनी-अपनी
जान खतरे में डाल कर नंगी सडकों पर कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिये निकल पढे|
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इनही जांबाज सिपाहियों के साथ कंधे से कंधा मिला
कर “ ब्रेक दि चैन ” कि कामयाबी के लिये खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारी
और कर्मचारी भी रास्तों पर निकल पढे| यह सभी लोग यकीनन कोरोना योद्धा याने कोरोना वॉरियर्स बन कर कोरोना वायरस से
निपटने के लिये ढाल बन कर अपने आप को जोखीम में डाल कर रास्तों पर निकल पढे|
कोरोना योद्धाओं का ज़िक्र हो और इसमे खाद्य एवं औषधि
प्रशासन विभाग कि प्रशसंक चर्चा न हो यह तो ना इंसाफी होंगी, और यह ब्लॉग अपने आप
में अधुरा ही माना जाएगा ऐसा मुझे लगता है|
जब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों कि
संख्या लाखों में चल रही थी| लग-भग देश के और राज्यो के घर-घर में कोरोना वायरस ने
दस्तक देने के कारण अस्पतालों में मरीजों कि संख्या अस्पताल के बेड व्यवस्था और वेंटिलेटर कि तुलना में कहीं गुना बढ
गयी थी|
आये दिन हजारों कि संख्या में मरीज
अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर कि कमी से दम तोड रहे थे|
अस्पतालों के सामने के मैदान में ही मरीज अपने जीवन कि अंतिम सांसे गिन रहे थे| और
मरीजों के परिजन लाचार, मजबुर और बेबस होकर मछली कि तरह तडप रहे थे, कि कैसे अपनी
परिवार के मॉं, बाप, भाई, बहन और रीशतेदार कि जान बचा सके|
चर्चा तो यह भी रही, के कहीं जगह पर तो
कोरोना संक्रमित मरीजों को बचाने के लिये उनके परिजन ऑक्सिजन ना मिलने कि मजबुरी
में अपने मुह से ही मरीज को सांसे देने कि कोशीश कर रहे थे, लेकीन वह अपनी कोशीश
में नाकाम रहे, नामुराद रहे| क्योंकी उनके दिल का तुकडा, उनका परिजन ऑक्सिजन ना
मिलने के कारण उन ही के नजरों के सामने दुनिया से हमेशा-हमेशा के लिये अलविदा कह
रहा था|
ऐसे भयानक हालात में इंसानियत भी दम तोड रही
थी| इंसान में छुपा हैवान भी पैसों कि लालच में आकर जाग उठा था| चंद पैसों के
सिक्के जमा करने कि होड ने इंसानियत को झग्झोड कर रख दिया था| ऐसे भेडीये क्या इंसान
कहलाने के काबील हो सकते है? यह तो सारी इंसानियत के लिये बदनुमा दाग भी तो है! कि
जो लोगों को सांसे देकर उनकी जान बचाने कि बजाए उनसे उन्ही कि सांसो का सौदा कर
रहे थे| ऐसे लोगों को तो कडी सजा देनी चाहिये|
हम बात कर रहे थे उन निडर और बेबाक कोरोना
योद्धाओं कि, जो लोगों कि सांसो का सौदा करने वाले मौत के सौदागरो को बेनकाब कर
रहे थे|
जी हां, हम ज़िक्र कर रहे है, महाराष्ट्र राज्य
के जालना जिले के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग कि ड्रग इन्स्पेक्टर और कमिशनर
अंजली मिटकर इनकी| अंजली मिटकर ने एक महिला होते हुवे भी जब कोरोना का आतंक चरम पर
था, ऐसे में अपनी जान जोखीम में डालकर अस्पतालों में दाखील मरीजों के प्राणो को
बचाने के लिये ऑक्सिजन सिलेंडर कि काला बाजारी करने वाले माफियाओं को समाज और
दुनिया के सामने बेनकाब हि नही किया, बल्की ऑक्सिजन और कोरोना पिडीत मरीजों के
लिये लगने वाले रेमडेसिवीर इंजक्शन कि व्यवस्था भी कि|
निडर और जांबाज सिपाही अंजली मिटकर के इस
कार्य कि सभी स्तर के लोग सराहना कर रहे है| अंजली मिटकर जैसे जांबाज कोरोना वॉरियर्स, कोरोना योद्धाओं को दिल कि
गहराईयों से शत-शत प्रणाम|
प्रिय पाठकों कोरोना योद्धाओं के हौसले को
बढाने के लिये पिछले साल हमारी सैनिकों ने भी अपने-अपने तरीकों से कोरोना योद्धाओं
का सम्मान किया था| देश के तीनो दलो ने याने जल-थल और वायु सेना ने समुद्र में
जहाज में लाईट लगा कर, अस्पतालों पर फुल बरसा कर और बैंड कि धून बजा कर सराहना कि
थी|
सराहना करने से और सम्मान करने से योद्धाओं
को और भी ज्यादा हौसला मिलता है| बल और उर्जा मिलती है, जीससे हमारे योद्धाओं को
और भी जोश से देश और समाज कि सेवा करने कि प्रेरणा मिलती है|
प्रिय पाठकों मै आज के इस ब्लॉग के माध्यम से
आप सभी लोगों से अनुरोध करता हुं, के आप देश और दुनिया के किसी भी हिस्से से क्युं
ना हो, इस कोरोना काल में ढाल बन कर सुरक्षा करने वाले योद्धाओं का दिल कि
गहराईयों से सम्मान करे, उनकी सराहना करे और उन्हे उर्जा प्रधान करे|
और हां, घर में ही रहे सुरक्षित
रहे..........
और हां, सावधान! रहे क्योंकी कोरोना वायरस
कि
तिसरी लहर कि चेतावनी दि जा रही है|
लेखक/संपादक: जर्नलिस्ट मुजीब हुसेन जमीनदार
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