कृषी कानुन के विरोध में राहुल गांधी का यल्गार Rahul Gandhi's protest against Krishi Kanun  

 

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कृषी कानुन के विरोध में राहुल गांधी का यल्गार

       पिछले पखवाडे में याने सितम्बर महीने में केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गये कृषी कानुनो के विरोध में अखिल भारतीय कॉंग्रेस के पुर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ताल ठोक कर यल्गार पुकारा है| मेगा जिला पंजाब से कृषी बचाव आंदोलन कि शुरुवात करते हुवे राहुल गांधी ने कृषी कानुनो के विरोध में तिन दिवसीय अभियान कि ज्योत जलाई है| मेगा में निकाले गये कृषी बचाव आंदोलन कि शुरुवात राहुल गांधी ने ट्रेकटर रैलि से कि| इस समय गांधी के साथ पंजाब के नेतागण भी मौजुद थे| अंदाजा तीन हजार पांच सौ किसानो ने आंदोलन में हिस्सा लिया| इस भव्य आंदोलन में किसानो को सम्भोधीत करते हुवे राहुल गांधी ने कहा के, केंद्र में बैठी मोदी सरकार को कृषी कानुनो को पारित करने कि जल्दी क्या थी! कृषी कानुनो को पारित करने से पहेले केंद्र सरकार को सदन के दोनो हिस्सो में ,याने लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा करनी चाहिए थी ,लेकीन ऐसा नही हुवा| और आनन-फानन में काले कानुनो को किसान समुदाय पर लादा गया|

         आगे कहते हुवे राहुल गांधी ने यह कहा के हमारी सरकार बनने पर हम पहेले यह काला कानुन रद्द करेंगे, फ़िर कचरा कुंडी में फेक देंगे| सुत्रो के अनुसार रहुल गांधी का यह कृषी बचाव आंदोलन तीन दिन तक चलता रहेगा|

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आपको बतादे के, पिछ्ले सितम्बर महीने में पारित हुवे इस नये नवेले कृषी कानुनो के विरोध में ,भारत के करीब सभी किसान संघटनाओ ने एक दिन भारत बंद का भी ऐलान किया था| किसान समुदाय और किसान संघटनाओ का यह कहेना है के, किसानो पर जबरन थोपे जा रहे यह तिन कृषी कानुन पुरी तरह से किसान विरोधी है| इस कानुन से किसानो के खेत जमीनो पर ठेकेदारो कि बुरी नजर रहेगी| इतना ही नही बल्की, इन कानुनो कि वजह से आधिकारिक किसान मंडी के बाहेर समांतर मंडी लगेगी और किसानो को नुकसान पहोच सकता है|

          नये कृषी कानुनो के विरोध में किसान समुदाय का गुस्सा चरम पर है| और किसान समुदाय इन कानुनो कि वजह से बहोत आहत दिख रहा है| आपको अवगत करादे के देशभर में तीन कृषी कानुनो के खिलाफ बोला जा रहा है|

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         ज्ञात रहे के महाराष्ट्र में महाआघाडी कि सरकार है| और राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने यह कहते हुए स्पष्ट कर दिया, के हम महाराष्ट्र में कानून लागु नही करेंगे? अभी हम इन नये कृषी कानुनो के बारे मे विचार विमर्श कर रहे है|       

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