रमजान ईद के मौके पर गरीबों कि मदद कैसे करे How to help the poor on the occasion of Ramadan Eid
प्रतीकात्मक चित्र |
प्रिय जनो आप सभी जानते है, कि कल
रमजान कि ईद याने ईद-उल-फित्र है| और यह रमजान ईद कोरोना, कोविड-19 के साये में
होने जा रही है, तो हमे ईद कि नमाज अपने-अपने हि घरो में अदा करनी पढेगी| और घर में हि
मिलना झुलना होगा घर से बहार रीश्तेदारो में, दोस्त अहेबाब में और अपने हि शहर
में लोगो से ईद मिलने के लिये सोशल डीसटन्स का पालन करते हुवे और चेहरे पर मास्क
लगाते हुवे ईद कि मुबारक बाद देना है| ना तो गले मिलना है और नाही किसी से शेक हैंड करना है, याने मुसाफा नही करना है| यह सोच कर हि अब हमारी रमजान ईद कैसी होगी
इसका हमे अंदाजा लग जाता है|
जब ईद हि इतनी सादी होगी, और इतनी
सादगी भी होगी तो कपडे और साज व शृंगार का सामान जुते और चप्पल हम क्यू खरीदे| इस
पर हम फुजूल खर्च क्यू करे क्युके कोरोना के चलते पुरे भारत देश में पिछले दो ढाइ
महीने से lockdown चल रहा है जिस कि वजह से हमारे लाखो कुशल श्रमिक व अकुशल
श्रमिक, मजदुर वर्ग बेरोजगार बन चुका है| जिसकी वजह से उनके परिवार अब दो वक्त कि रोटी
के लिये भी दर-दर भटक रहे है|
अगर अपवाद और मीसाल छोडे तो इनका सिवाए
उपर वाले के कोई पुरसाने वाला नही, तो फिर इन गरीब व बे सहारो कि रमजान ईद कैसी
होगी यह सोच कर मै सोच में पड जाता हुं, और मेरा दिल दहेलने लगता है| लेकीन हम इन गरीबो
का दर्द कुछ हद तक कम कर सकते है और इनकी खाली झोली में कुछ खुशिया भी भर सकते है|
बस हमें आगे आकर अपने कपडे और साज
व शृंगार के समान पर होने वाला फुजूल खर्च टालते हुवे, वह फुजूल खर्च
से बचाइ हुई नगदी रक्कम या उन पैसो से रमजान ईद पर लगने वाली खान-पान कि चीजे उन
गरीबो तक पहोचाना है| यह नेक काम करने से उन गरीब और बे सहाराओं कि ईद और मिठी बन
सकती है| और हमारी यह पहेल से हमारी भी रमजान ईद कि ख़ुशी दो गुनाह और बढ जाएगी, और
दिल को सुकून और ठंडक पहोचेगी| अल्लाह राजी होगा वह तो और भी उंची और बडी बात होगी|
बस हमे थोडासा दिल बडा और निय्य्त साफ रखते हुवे
पहेल करना है| क्या हम हमारे गरीब भाईयों के लिये इतना भी नही कर सकते ? यह सवाल हम
अपने आप से पुछते है, जवाब अपने आप हि मील जाएगा| तो चले अब इस पुण्य कर्म को अंजाम
देते है|
मेरे और मेरे परिवार के तरफ से भारत देश और
दुनिया के सभी भाई बहनो को रमजान ईद कि बहोत-बहोत मुबारक बाद!!
सो गाईस, आप को यह मेरा छोटा पैगाम कैसा
लगा कमेंट सेक्शन में जरूर बताये और इस ब्लॉग पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेअर करे|
लेखक/संपादक:जर्नालिस्ट
मुजीब हुसेन जमीनदार
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